तेजस्वी यादव 9वीं पास कर लें तो राजनीति छोड़ दूंगा: प्रशांत किशोर का बड़ा बयान वायरल

राजनीतिक रणनीतिकार और जन सुराज अभियान के संस्थापक प्रशांत किशोर ने एक बार फिर से बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। इस बार उन्होंने राजद नेता तेजस्वी यादव पर तीखा तंज कसते हुए कहा है कि – “अगर तेजस्वी यादव 9वीं पास निकल जाएं, तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।” यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और अब यह बहस का विषय बन गया है कि क्या यह सिर्फ एक बयान है या इसके पीछे गंभीर राजनीतिक रणनीति छिपी है।

प्रशांत किशोर का विवादित बयान कहां और कब दिया गया?

प्रशांत किशोर इन दिनों बिहार के अलग-अलग जिलों में अपने जन सुराज पदयात्रा अभियान के तहत लोगों से सीधे संवाद कर रहे हैं। इसी दौरान उन्होंने एक सभा में तेजस्वी यादव की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाते हुए यह बयान दे डाला। उन्होंने स्पष्ट कहा – “तेजस्वी यादव 10वीं पास भी नहीं हैं। अगर वो 9वीं पास भी साबित हो जाएं, तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।” इस बयान को सुनते ही वहां मौजूद भीड़ ने तालियों की गूंज से उनका समर्थन किया।

तेजस्वी यादव की पढ़ाई को लेकर पहले भी उठ चुके हैं सवाल

बिहार की राजनीति में तेजस्वी यादव लंबे समय से सक्रिय हैं, लेकिन उनकी शैक्षणिक योग्यता को लेकर सवाल पहले भी उठते रहे हैं। तेजस्वी ने खुद कई बार यह स्वीकार किया है कि वे क्रिकेट में करियर बनाने की वजह से पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए। उन्होंने 9वीं तक की पढ़ाई दिल्ली पब्लिक स्कूल से की थी, लेकिन उसके बाद आगे की पढ़ाई पूरी नहीं हो पाई। अब जब प्रशांत किशोर ने इस मुद्दे को फिर से उछाला है, तो यह साफ है कि आगामी चुनावों में यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।

Prashant Kishor
Prashant Kishor

क्या प्रशांत किशोर सिर्फ बयानबाज़ी कर रहे हैं या है कोई रणनीति?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रशांत किशोर का यह बयान सिर्फ एक टिप्पणी नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक गहरी रणनीति है। तेजस्वी यादव की लोकप्रियता खासकर युवाओं के बीच तेज़ी से बढ़ रही है, और प्रशांत किशोर उनके आधार को चुनौती देना चाहते हैं। शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाकर वे जनता को यह दिखाना चाहते हैं कि “नेता बनने के लिए सिर्फ विरासत नहीं, योग्यता भी ज़रूरी है।”

राजद की तरफ से क्या आया जवाब?

प्रशांत किशोर के इस बयान के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की तरफ से भी तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली। राजद प्रवक्ता ने कहा – “प्रशांत किशोर खुद क्या हैं, यह जनता जानती है। तेजस्वी यादव ने पिछले विधानसभा चुनावों में जबरदस्त प्रदर्शन किया, और जनता ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाया। उनके शिक्षा को मुद्दा बनाकर जनता का ध्यान भटकाना गलत है।”

सोशल मीडिया पर बवाल, ट्रेंड हो रहा है #PKvsTejashwi

प्रशांत किशोर के इस बयान के बाद ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब पर इस मुद्दे पर बहस छिड़ गई है। #PKvsTejashwi और #9thFailCM जैसे हैशटैग टॉप ट्रेंड में हैं। कुछ लोग PK का समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ तेजस्वी यादव की लोकप्रियता का हवाला देते हुए इसे “नकारात्मक राजनीति” करार दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर यह भी चर्चा है कि क्या अब शिक्षा ही नेता की पहचान होगी?

क्या भारत में शिक्षा को लेकर नेताओं की जवाबदेही तय होनी चाहिए?

इस बयान के बाद एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा हो गया है – क्या एक जनप्रतिनिधि के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता तय होनी चाहिए? कई देशों में ऐसा नियम है, लेकिन भारत में संविधान ऐसा कोई बंधन नहीं लगाता। हालांकि, यह सच है कि आम जनता अब पढ़े-लिखे और समझदार नेताओं की चाह रखती है। प्रशांत किशोर का “तेजस्वी यादव 9वीं पास कर लें…” वाला बयान इसी बहस को तेज़ करता है।

बिहार की राजनीति में शिक्षा बन रही है नया हथियार

तेजस्वी यादव की शिक्षा पर सवाल उठाकर PK ने एक नई बहस की शुरुआत कर दी है। बिहार जैसे राज्य, जहां शिक्षा की स्थिति खुद चुनौतीपूर्ण है, वहां यह मुद्दा और भी संवेदनशील बन जाता है। अब देखना यह है कि तेजस्वी यादव खुद इस मुद्दे पर क्या जवाब देते हैं। क्या वे अपनी शिक्षा के अनुभव को जनता से साझा करेंगे, या इसे नजरअंदाज करेंगे?

चुनाव नजदीक, बयानबाज़ी और तेज़ होगी

बिहार में अगले विधानसभा चुनाव 2025 में होने वाले हैं और उसके पहले सभी दल एक-दूसरे पर निशाना साधने में जुटे हुए हैं। प्रशांत किशोर के इस बयान से साफ है कि वे सीधे तौर पर तेजस्वी यादव को चुनौती देना चाहते हैं। उनकी यह टिप्पणी सिर्फ आलोचना नहीं, बल्कि एक रणनीतिक वार है जिससे वे युवा वोटरों को आकर्षित करना चाहते हैं। “तेजस्वी यादव 9वीं पास कर लें तो राजनीति छोड़ दूंगा” एक नारा बन गया है जिसे कई राजनीतिक मंचों पर दोहराया जा रहा है।

निष्कर्ष: बयान का असर होगा या उल्टा पड़ेगा?

राजनीति में बयानबाज़ी आम बात है, लेकिन कुछ बयान ऐसे होते हैं जो लंबी बहस को जन्म देते हैं। प्रशांत किशोर का यह बयान भी ऐसा ही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता इसे किस नजर से देखती है – एक सच्चाई की ओर इशारा या एक राजनीतिक हथकंडा? तेजस्वी यादव समर्थकों को यह अपमानजनक लग सकता है, लेकिन कुछ वर्ग इसे जनता की अपेक्षा के रूप में भी देख सकते हैं।

एक बात तय है कि बिहार की राजनीति में अब “शिक्षा बनाम अनुभव” की नई बहस शुरू हो चुकी है, और आने वाले दिनों में यह और तेज़ होगी।

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