राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा प्रकाशित कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की नई पाठ्यपुस्तक में मग़ल शासकों के इतिहास को नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है। इन बदलावों का उद्देश्य छात्रों को एक संतुलित और आलोचनात्मक सोच से भरपूर इतिहास पढ़ाना है, जिससे वे केवल तथ्यों को याद न करें बल्कि उन्हें समझें भी।
बाबर को बताया गया “निर्दयी विजेता”
नए पाठ्यक्रम में मग़ल साम्राज्य के संस्थापक बाबर को सिर्फ एक विजेता या महान नेता की तरह नहीं, बल्कि एक “निर्दयी” (ruthless) और “क्रूर” (brutal) विजेता के रूप में भी चित्रित किया गया है। साथ ही, यह भी बताया गया है कि बाबर एक अच्छे कवि और आत्मकथाकार भी थे जिन्होंने ‘बाबरनामा’ नामक प्रसिद्ध ग्रंथ लिखा था। इससे छात्रों को उनके व्यक्तित्व के दोनों पहलुओं को समझने का मौका मिलेगा।

अकबर: सहिष्णु लेकिन सख्त शासक
अकबर, जिन्हें पहले सिर्फ ‘महान’ और उदार शासक के रूप में प्रस्तुत किया जाता था, अब उन्हें “सख्त लेकिन सहिष्णु” शासक बताया गया है। पाठ्यपुस्तक में उनके प्रशासनिक सुधारों, धार्मिक सहिष्णुता और सैन्य रणनीतियों का जिक्र किया गया है, लेकिन साथ ही उनके द्वारा लिए गए कठोर निर्णयों पर भी प्रकाश डाला गया है। यह छात्रों को इतिहास के प्रति एक वास्तविक नजरिया अपनाने की प्रेरणा देता है।
औरंगज़ेब का नया मूल्यांकन
नए बदलावों में औरंगज़ेब को सिर्फ एक धार्मिक रूप से कट्टर शासक की छवि से बाहर लाकर, उन्हें एक रणनीतिक और राजनीतिक रूप से समझदार राजा के रूप में भी दर्शाया गया है। पुस्तक में बताया गया है कि औरंगज़ेब ने कई सैन्य अभियानों और प्रशासनिक निर्णयों में दूरदर्शिता दिखाई, लेकिन उन्होंने कई कठोर फैसले भी लिए जिनका समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा।
“Blame Game” नहीं, आलोचनात्मक सोच का विकास
पाठ्यपुस्तक में एक विशेष फुटनोट (footnote) शामिल किया गया है जिसमें लिखा है –
“इतिहास को समझना चाहिए, दोष नहीं देना चाहिए।”
इसका उद्देश्य स्पष्ट है कि छात्र इतिहास को किसी विशेष नजरिए से नहीं, बल्कि गहराई से और सोच-समझ के साथ पढ़ें। इस बदलाव के ज़रिए विद्यार्थियों को निष्पक्ष विश्लेषण की आदत विकसित करने पर बल दिया गया है।
शिक्षा नीति के अनुरूप बदलाव
ये सभी सुधार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के अनुरूप हैं, जिसमें यह ज़ोर दिया गया है कि छात्रों को एकतरफा या रटने वाला ज्ञान नहीं दिया जाए। मग़ल इतिहास के नए अध्यायों में केवल उनके विजय या हार का नहीं, बल्कि उनके प्रशासन, समाज, संस्कृति और विचारधारा का भी अध्ययन कराया जाएगा।
विशेषज्ञों की राय
कई इतिहासकारों और शिक्षाविदों का मानना है कि यह एक सकारात्मक पहल है। इससे न केवल छात्रों को मुग़ल काल की जटिलताओं को समझने में मदद मिलेगी, बल्कि वे इतिहास को वर्तमान संदर्भों से भी जोड़ सकेंगे। हालांकि कुछ आलोचकों का यह भी मानना है कि बदलावों में सावधानी बरती जानी चाहिए ताकि किसी वर्ग विशेष की भावना को ठेस न पहुंचे।
निष्कर्ष
भारत सरकार और NCERT द्वारा मग़ल इतिहास में किए गए ये बदलाव केवल शब्दों का हेरफेर नहीं हैं, बल्कि यह एक नई सोच को बढ़ावा देने की दिशा में कदम है। इतिहास अब सिर्फ तारीखों और नामों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह छात्रों को गहराई से सोचने, समझने और निष्पक्ष दृष्टिकोण से देखने के लिए प्रेरित करेगा।