मराठी बोलने से इनकार पर बिगड़ा मामला

मुंबई में रहने वाले प्रख्यात निवेशक और अरबपति सुशील केडिया हाल ही में विवादों में तब आ गए जब उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में यह दावा किया कि वे 30 सालों से मुंबई में रहने के बावजूद मराठी नहीं बोलते और आगे भी सीखने का इरादा नहीं रखते। इस बयान को महाराष्ट्र की पहचान और भाषा पर चोट मानते हुए स्थानीय राजनीतिक दल महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने तीखी प्रतिक्रिया दी।

मनसे कार्यकर्ताओं ने किया ऑफिस पर हमला

केडिया के इस बयान के बाद मुंबई के वर्ली स्थित उनके ऑफिस पर मनसे कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया। कार्यकर्ताओं ने ऑफिस के बाहर नारेबाज़ी की, नारियल और पत्थर फेंके और गेट को नुकसान पहुंचाया। हालांकि इस हमले में कोई घायल नहीं हुआ, लेकिन माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया। इस घटना के बाद पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए पांच मनसे कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया।

सुशील केडिया ने मांगी माफी

हमले के बाद सुशील केडिया ने तुरंत X पर एक वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने अपने शब्दों पर खेद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि उनका स्वर गलत था और उन्होंने भावनाओं में बहकर बयान दिया था, जिसका मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि उनके पोस्ट को गलत तरीके से समझा गया और वे किसी समुदाय या भाषा का अपमान नहीं करना चाहते थे।

राज ठाकरे को बताया ‘हीरो’

माफी मांगते हुए सुशील केडिया ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे की तारीफ करते हुए उन्हें ‘हीरो’ बताया। उन्होंने कहा कि वे राज ठाकरे के विचारों और नेतृत्व क्षमता की सराहना करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे महाराष्ट्र की संस्कृति और भाषा का सम्मान करते हैं और भविष्य में इससे जुड़े किसी भी विवाद से बचने की कोशिश करेंगे।

मनसे ने दी कड़ी चेतावनी

मनसे के प्रवक्ताओं ने इस पूरे मामले में कहा कि जो भी मराठी भाषा और संस्कृति का अपमान करेगा, उसे इसी तरह से जवाब दिया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि महाराष्ट्र में रहने वालों को मराठी भाषा का सम्मान करना होगा, चाहे वे किसी भी वर्ग, जाति या समुदाय से हों। हालांकि, राज ठाकरे ने किसी भी प्रकार की हिंसा को सही ठहराने से इनकार किया और अपने कार्यकर्ताओं को संयम बरतने की सलाह दी।

पुलिस ने बढ़ाई सुरक्षा

घटना के बाद पुलिस ने सुशील केडिया के ऑफिस और उनके आवास पर सुरक्षा बढ़ा दी है। अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में सभी जरूरी जांच की जा रही है और किसी भी प्रकार की कानून-व्यवस्था की स्थिति को बिगड़ने नहीं दिया जाएगा। साथ ही, हिंसक कार्रवाई में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

सोशल मीडिया पर भी छिड़ी बहस

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। कुछ लोग केडिया का समर्थन कर रहे हैं कि भाषा थोपना गलत है, जबकि कुछ लोग मानते हैं कि किसी भी राज्य में उसकी भाषा का सम्मान करना आवश्यक है। यह मामला अब सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं रह गया है, बल्कि भाषा, पहचान और अभिव्यक्ति की आज़ादी से जुड़ा संवेदनशील मुद्दा बन गया है।

निष्कर्ष: शब्दों से भड़क सकती है चिंगारी

यह मामला एक बार फिर दिखाता है कि भाषाई संवेदनशीलता भारत जैसे बहुभाषी देश में कितनी बड़ी भूमिका निभाती है। एक छोटा सा बयान अगर सामाजिक भावना को ठेस पहुंचाए, तो वह बड़ी प्रतिक्रिया का कारण बन सकता है। सुशील केडिया द्वारा माफी मांगना स्थिति को थोड़ा शांत करने की कोशिश जरूर है, लेकिन यह घटना समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सांस्कृतिक सम्मान के बीच कोई संतुलन बन सकता है।

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