कर्नाटक के जंगल में रूसी महिला और उसकी बेटियों की रहस्यमयी कहानी – जंगल में गुफा में रह रही थी परिवार सहित

कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ ज़िले के गोकर्णा क्षेत्र में स्थित रामतीर्थ पहाड़ियों में हाल ही में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया। पुलिस ने यहां एक रूसी महिला को उसकी दो छोटी बेटियों के साथ एक गुफा में रहते हुए पाया। यह महिला पिछले कुछ हफ्तों से जंगल में बिना किसी सहायता के रह रही थी। जब स्थानीय प्रशासन को इसकी सूचना मिली तो जांच शुरू की गई, और तब जाकर इस महिला और उसकी बेटियों को खोजा गया।

महिला की पहचान – कौन हैं नीना कुटिना?

पुलिस द्वारा की गई पूछताछ और दस्तावेजों की जांच में पता चला कि महिला का नाम नीना कुटिना (Nina Kutina) है और वह रूस की नागरिक हैं। उनकी उम्र करीब 40 साल है। नीना के साथ उनकी दो बेटियाँ भी थीं, जिनकी उम्र क्रमशः 6 साल और 4 साल बताई गई है। बेटियों के नाम प्रेमा और आमा हैं।

नीना ने पुलिस को बताया कि वे पिछले कुछ समय से प्रकृति के बीच आत्मिक जीवन जीने के लिए गुफा में रह रही थीं। उनका कहना था कि वे आधुनिक जीवनशैली से दूर रहकर भगवान शिव की उपासना में लीन थीं और उन्हें इस जीवन में शांति मिल रही थी।

जंगल में जीवन – कैसे गुज़ारा कर रही थीं?

गुफा के अंदर प्लास्टिक की चादरें बिछाई गई थीं जहां वे सोती थीं। पास में एक छोटा जल स्रोत और कुछ फलदार पेड़ थे जिससे उन्हें दैनिक जरूरतें पूरी करने में सहायता मिलती थी। उन्होंने खाने के लिए इंस्टेंट नूडल्स और फल आदि संग्रह करके रखा था।

नीना हर सुबह बच्चों के साथ नदी में स्नान करती थीं और फिर पूजा करती थीं। गुफा में भगवान शिव की एक छोटी प्रतिमा भी रखी हुई थी, जिसे वह रोज साफ करती और हवन करती थीं। बच्चों को मिट्टी से खेलना, चित्र बनाना और प्रार्थना करना सिखाया जाता था।

वीज़ा और कानूनी स्थिति

नीना भारत में सबसे पहले 2016 में बिजनेस वीज़ा पर आई थीं, जो 2017 में समाप्त हो गया। इसके बाद उन्होंने नेपाल जाकर वीज़ा रिन्यू करने का प्रयास किया, लेकिन 2018 में भारत वापस आने के बाद वीज़ा की वैधता को नहीं बढ़वाया गया। इस कारण अब उन पर भारत में अवैध रूप से रहने का मामला बनता है।

स्थानीय पुलिस ने इस मामले को Foreigners Regional Registration Office (FRRO) को सौंप दिया है और उनके डिपोर्टेशन (वापस भेजने) की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

बेटियों की स्थिति और चिंता

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि ये दोनों बच्चियाँ जंगल की कठिन परिस्थितियों में बिना किसी बीमारी या परेशानी के रह रही थीं। दोनों स्वस्थ नज़र आईं, और उन्हें ये जीवन असामान्य नहीं लग रहा था। नीना का कहना था कि,

“मेरे बच्चे बहुत खुश थे, उन्हें शहर की भीड़-भाड़ की ज़रूरत नहीं है। हम प्रकृति के साथ जीना सीख चुके हैं।”

हालांकि, पुलिस और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए उन्हें फिलहाल एक महिला आश्रय केंद्र में रखा है।

पिता की एंट्री – बच्चों की कस्टडी की माँग

बेटियों के पिता ड्रोर गोल्डस्टीन (Dror Goldstein) एक इज़राइली नागरिक हैं। उन्होंने मीडिया को बताया कि उन्हें बच्चों की सुरक्षा की चिंता है और वह बच्चों को अपने साथ इज़राइल या भारत में रखना चाहते हैं।

ड्रोर और नीना की मुलाकात पहले गोवा में हुई थी। इसके बाद दोनों साथ रहने लगे थे, लेकिन बाद में अलग हो गए। ड्रोर ने अब कानूनी सहायता के ज़रिए बच्चों की कस्टडी की मांग की है और नीना को डिपोर्ट न करने की अपील भी की है।

पुलिस की प्रतिक्रिया

स्थानीय पुलिस अधिकारी श्रीधर एस.आर. ने मीडिया को बताया कि,

“हमें पहली बार किसी विदेशी महिला के जंगल में रहने की खबर मिली। जब हमारी टीम पहुंची, तो हमें एक पूरी तरह व्यवस्थित शिविर जैसा वातावरण मिला। बच्चों को देख कर यकीन ही नहीं हुआ कि वे इतने दिनों से जंगल में रह रहे थे।”

क्या कहती है सरकार?

सरकारी एजेंसियाँ अब नीना की वीज़ा स्थिति, बच्चों की नागरिकता, और उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए केस को देख रही हैं। रूसी एम्बेसी से संपर्क किया जा चुका है और जल्दी ही उनके लौटने की व्यवस्था की जा सकती है।

निष्कर्ष

नीना कुटिना की यह कहानी केवल एक विदेशी महिला की नहीं है, बल्कि यह सवाल उठाती है कि क्या मानसिक शांति की तलाश में कोई जंगल में परिवार के साथ रह सकता है? क्या यह एक अपराध है या एक आध्यात्मिक यात्रा?

इस पूरी घटना ने इंटरनेट और मीडिया में तहलका मचा दिया है। कुछ लोग नीना को एक “modern-day sanyasini” मानते हैं, जबकि कुछ लोग इसे बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरा बता रहे हैं।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि न्यायालय, सरकार और नीना का भविष्य क्या मोड़ लेता है।

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